हल्द्वानी: आधुनिक जमाना पूरी तरह से आत्मनिर्भरता का जमाना है। युवा पीढ़ी इस बात को भली-भांति जानती है कि आने वाला समय नौकरी करने का नहीं बल्कि नौकरी देने का है। शायद यही वजह है कि आजकल के युवा नन्हे नन्हे कदम आगे बढ़ा कर स्टार्टअप शुरू रहे हैं और देश प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। हल्द्वानी में भी स्टार्टअप का दौर जारी है। युवाओं में खुद का एक कमाई का जरिया स्थापित करने की होड़ लगी हुई है।
हालांकि स्टार्टअप का सबसे मूल अर्थ अविष्कार होता है। नया आईडिया होगा तो स्टार्टअप खुद ब खुद ही लोगों को आकर्षित करेगा। ठीक उसी तरह जिस तरह से हल्द्वानी में चाय का मंत्रालय हिट हो गया है। जी हां, हल्द्वानी में चाय के मंत्रालय ने बीते कुछ महीनों में काफी सुर्खियां बटोरी हैं। सिर्फ नाम से ही नहीं बल्कि इस चाय के मंत्रालय में मिलने वाली कई प्रकार की चाय का स्वाद लोगों के दिलों में बस गया है। दरअसल हम बात कर रहे हैं हल्द्वानी कालाढूंगी रोड स्थित मिनिस्ट्री ऑफ चाय स्टार्टअप की।
MINISTRY ऑफ चाय
पीलीकोठी चौराहे के पास मिनिस्ट्री ऑफफ चाय नामक कैफे की शुरुआत हुई है। चाय के मंत्रालय को खोलने का सफर दो दोस्तों की कहानी को भी बखूबी बयान करता है। कालाढूंगी के सारांश सती और खटीमा के अंकित जोशी ने मिलकर मिनिस्ट्री ऑफ चाय नामक कैफे की शुरूआत की है। दोनों ने नए आइडिया के साथ हल्द्वानी की जनता को चाय परोसने के इरादे को बाखूबी उकेरा है। आपको पता होगा कि हल्द्वानी में हर तरफ चाय बनाने वाले कैफे की भरमार है।
क्यों अलग है चाय का मंत्रालय
मिनिस्ट्री ऑफ चाय इन सभी कैफे से अलग है। यहां पर चाय अलग अंदाज में पिलाई जाती है। दरअसल मिनिस्ट्री ऑफ चाय में आप शायराना अंदाज से चाय पी सकते हैं। अगर आप कैफे में बैठ कर चाय पिएंगे या कुछ भी खाएंगे तो आपको आसपास शायराना माहौल मिलेगा। बता दें कि मिनिस्ट्री ऑफ चाय की शुरुआत साल 2021 की शुरुआत में हुई थी।
मंत्रालय की कहानी
यह मिनिस्ट्री ऑफ जाए की बदौलत ही है कि अब कालाढूंगी रोड भी नैनीताल रोड की तरह रातों-रात जगमग रहती है। चाय का मंत्रालय शुरू करने के आईडिया के पीछे की बात करें तो यह सिंपल था। अंकित जोशी पहले से देहरादून में खुद का काम कर रहे थे। दूसरी तरफ उनके मित्र सारांश सती गुरुग्राम में नौकरी कर रहे थे। दोनों ने काफी पहले से एक साथ कुछ करने का सोचा तो था लेकिन मौका नहीं मिल पा रहा था। अब जब कोरोना काल आया तो कई लोगों ने आपदा में अवसर भी खोज निकाला।
इन्हीं लोगों में सारांश और अंकित भी थे। एक तरफ अंकित ने अपना काम छोड़ा तो दूसरी तरफ सारांश ने अपनी नौकरी। जिसके बाद हल्द्वानी में इस स्टार्टअप की शुरुआत हुई। हालांकि दोनों को इसे शुरू करने में खासा दिक्कतें झेलनी पड़ीं। आर्थिक रूप से परेशानी से लेकर कम संसाधनों में स्टार्टअप शुरू करना वाकई मुश्किल था। लेकिन दोनों के बीच की यारी ने हर मुश्किल को पीछे छोड़ दिया।
नाम के पीछे का रहस्य
कैफे के नाम के पीछे भी अंकित और सारांश एक रोचक कहानी बताते हैं। दोनों बताते हैं कि मिनिस्ट्री ऑफ चाय का नाम तो दिमाग में था। लेकिन मंत्रालय के लिए थोड़ा ध्यान विचार करना। वे बताते हैं कि एक दिन एक मित्र ने अचानक मंत्रालय शब्द बोल दिया। वो क्लिक किया तो नाम वहीं से रख दिया। मगर खुशी है कि अब यह लोगों को पसंद आ रहा है।
चाय और शायरी को एक साथ जोड़ने के पीछे अंकित और सारांश बताते हैं कि पुराने जमाने के लोगों को शायरी का शौक हुआ करता था। लेकिन अब दोबारा से शायरियों की दुनिया वापस आ रही है। अंकित और सारांश दोनों को ही शायरी से खासा लगाव है। यही वजह है कि कैफे में माहौल शायराना रहता है।
बता दें कि कैफे में आट प्रकार की चाय के साथ छह प्रकार की मैगी, पास्ता आदि कई चीजें मिलती हैं। खैर, चाय का मंत्रालय तो अब हिट हो गया है। कहना होगा कि चाय के मंत्रालय ने हल्द्वानी और आसपास के फूड लवर्स का ध्यान अपनी ओर खींचने में अब तक सफलता हासिल की है। इसे एक सफल स्टार्टअप माना जा सकता है।