हल्द्वानी:पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, पहाड़ के काम आनी चाहिए। दशकों से इस पर जोर दिया जा रहा है और क्योंकि राज्य में पलायन सबसे बड़ी समस्या रही है। मूलभूत सुविधाओं के नहीं होने से लोग शहरों की तरफ जाने में मजबूर हैं। मैदान पर रहकर बोलना आसान है लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में जिंदगी बेहद मुश्किल है। अब इन मुश्किलों का सामना कर आने वाले पीढ़ी के लिए रास्ता दिखाने का काम कर रहे हैं वो युवा जो अपने गांव में रहकर स्वरोजगार कर रहे हैं। खासबात ये है कि वह शहरों से पहाड़ लौटकर अपने काम करने के फैसले को सही मानते हैं।

मुक्तेश्वर लेटीबुंगा निवासी संजय नयाल का सफर भी उन युवाओं की तरह हुआ था जो गांव पढ़कर शहर जाकर नौकरी करना चाहते थे लेकिन कुछ सालों के बाद उन्होंने अपने लिए काम करने का फैसला किया और आज सैंकड़ों लोगों के बीच अपनी पहचान स्थापित कर चुके हैं। संजय ने एक साल पहले पहाड़ी उत्पादों को लोगों तक पहुंचाने का काम शुरू किया। अब वह अपने फैसले से खुश हैं और लगातार ग्रोथ हासिल कर रहे हैं।
संजय के लिए ये सब बिल्कुल भी आसान नहीं था। धानाचूली से इंटर करने के बाद उन्होंने हल्द्वानी का रुख किया। बीसीए के लिए उन्होंने कॉलेज में प्रवेश लिया। पढ़ाई पूरा करने के बाद वह दो साल तक एक निजी कंपनी के साथ जुड़े रहे। साल २०१७ में संजय को ये काम रास नहीं आ रहा था तो उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की, पढ़ाई के दौरान ही उन्हें स्वरोजगार करने का आइडिया आया। मुक्तेश्वर में तमाम प्रकार के फल होते हैं और उन्हें बाजार में पहुंचाने हेतु रिसर्च शुरू किया। पिता गणेश नयाल और मां लीला नयाल खेती से जुड़े थे तो कुछ उत्पाद पहले से घर पर ही बनाए जाते थे।
संजय बताते हैं कि एक बार उन्होंने जैम और अचार बेचने हेतु पोस्ट फेसबुक पर डाला और उससे काफी अच्छा रिपांस मिला। करीब तीस लोगों ने उन्हें ऑर्डर दिया। इसके बाद उन्हें फलों को ऑनलाइन बेचने का ख्याल आया क्योंकि मुक्तेश्वर में सेब काफी होते हैं, उन्होंने इसके लिए सीधेपहाड़से.इन वेबसाइट शुरू की, जिसमें वह पहाड़ी उत्पाद बेचने लगे। उन्होंने अपने ब्रांड को नाम दिया “taste ऑर्गेनिक…” पहले केवल जैम और अचार बेचने वाले संजय अब करीब 15 से ज्यादा ऑर्गेनिक उत्पाद पूरे देश में लोगों तक पहुंचा रहे हैं। एक बार में वह बुंराश के जूस की 1200 यूनिट भी बेच चुके हैं। उनकी कंपनी के उत्पाद विख्यात अमेजॉन और फिल्पकार्ट पर भी लिस्ट किए गए हैं। सबसे खासबात ये है कि इन उत्पादों को बनाने में संजय स्थानीय लोगों की मदद लेते हैं और इससे रोजगार भी वह पैदा कर रहे हैं।

संजय नयाल बताते हैं
पर्वतीय क्षेत्रों में संसाधन की कमी हैं। युवा भी इसी वजह से गांव छोड़कर शहरों में जा रहे हैं लेकिन वहां भी टिक पाना आसान नहीं है। इसलिए हमने स्वरोजगार शुरू करने का फैसला किया। शुरुआत में परेशानी तो आती है लेकिन लगातार अध्यन करने से काफी चीजों का हल निकल जाता है। अगर सही से प्लान किया जाए पहाड़ी उत्पादों की खपत लोकल मार्केट में ही हो जाती है। मैदानी क्षेत्रों में भेजने के लिए अलग से ट्रांसपोर्ट का खर्चा आता है तो इसलिए हम लोकल मार्केट पर केंदित है। बाहर के लिए ऑनलाइन सबसे अच्छा विकल्प है। जब ये काम शुरू किया था तो उत्पादों के बनने के बाद खुद से ही डिलिवरी किया करते थे। इसे हमें ग्राहकों से फीडबेक मिलने में आसानी होती थी। ग्राहकों से सीखकर ही हमने अपनी कंपनी को रूप दिया है। खुशी मिलती है कि स्थानीय लोगों को रोजगार देने में हम सफल हुए हैं।
Very nice