हल्द्वानी: साल 2018 में उत्तराखंड क्रिकेट ने एक नए युग में प्रवेश किया। दशकों से जो सपना सीनियर खिलाड़ियों ने देखा था वो पूरा हुआ। राज्य को बीसीसीआई ने घरेलू क्रिकेट में खेलने की मान्यता दी। केवल खिलाड़ियों के लिए ही नहीं , उन लोगों को भी उम्मीद की किरण दिखने लगी जो लंबे वक्त से इस खेल की सेवा उत्तराखंड में कर रहे थे। पिछले तीन सालों में उत्तराखंड ने क्रिकेट को ना केवल खिलाड़ी बल्कि कोच और सपोर्टिंग स्टॉफ भी दिया है।
उत्तराखंड क्रिकेट की बात हम कर रहे हैं तो सबसे पहले उस खिलाड़ी की बात करते हैं जिसके नाम राज्य की ओर से रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा शतक हैं। विकेटकीपर बल्लेबाज सौरभ रावत उत्तराखंड टीम में शामिल होने से पहले ओडिशा के लिए भी घरेलू क्रिकेट खेल चुके थे।
हल्द्वानी निवासी सौरभ रावत ने साल 2016 में ओडिशा के लिए घरेलू क्रिकेट में डेब्यू किया। दूसरे राज्य के लिए खेलना बिल्कुल भी आसान नहीं रहता है। सौरभ ने अपने क्रिकेट की शुरुआत हल्द्वानी क्रिकेटर्स क्लब से की…. क्रिकेट की बारिकी सिखने के बाद वह बेंगलूरू चले गए और अपने परिश्रम से ओडिशा टीम में जगह बनाई।
साल 2016 में सौरभ के बल्ले से छोटी लेकिन उपयोगी पारी निकली थी। पहले सीज़न में उनके बल्ले से दो फिफ्टी निकली थी। उन्हें धीरे-धीरे पहचान मिलने लगी और इसी बीच उत्तराखंड की घरेलू क्रिकेट में एंट्री हो गई।
2018 में उत्तराखंड की घरेलू क्रिकेट में एंट्री
साल 2018 में बिहार के खिलाफ उत्तराखंड की टीम ने वनडे में डेब्यू किया था। विजय हजारे ट्रॉफी के पहले मैच में टीम को 5 विकेट से हार का सामना करना पड़ा था। घरेलू क्रिकेट खेलने का अनुभव रखने वाले सौरभ शून्य पर आउट हो गए थे। पहले मैच की तस्वीर देखकर लगा कि उत्तराखंड की टीम को पहचान बनाने में वक्त लगेगा लेकिन क्रिकेट अगर मगर का खेल नहीं है… ये सभी खिलाड़ी जानते थे।
टीम के तत्कालीन कप्तान रजत भाटिया और कोच भास्कर पिल्लई की अगुवाई में टीम ने इसके बाद वह कर दिखाया जो किसी ने नहीं सोचा था। उत्तराखंड टीम ने इसके बाद लगातार सात मुकाबले जीते और सौरभ रावत टीम की रीड़ बनकर उभरे, जिसने फैंस को रणजी ट्रॉफी के लिए भरोसा दिया।
पुडुचेरी के खिलाफ सौरभ रावत ने 20 गेंदों में 35 रनों की पारी खेली। विजय हजारे टूर्नामेंट में सौरभ के बल्ले से 4 फिफ्टी निकली, कई मौको पर उन्होंने टीम को मुश्किल स्थिति से भी निकाला। इसके बाद रणजी ट्रॉफी में सौरभ रावत ने इतिहास रचा। उन्होंने सिक्किम के खिलाफ 220 रनों की पारी खेली और उत्तराखंड के लिए रणजी ट्रॉफी में दोहरा शतक जड़ने वाले पहले बल्लेबाज बन गए।
इसके बाद सौरभ ने मिजोरम के खिलाफ 102 रनों की पारी खेली। शानदार लय में दिख रहे सौरभ के लिए बड़ा मौका लेकर आया विदर्भ के खिलाफ क्वार्टर फाइनल का वो मैच जिसने विरोधी टीम को उत्तराखंड का मुरीद बना दिया। सौरभ रावत ने 108 रनों की पारी खेली। विदर्भ के लिए उस वक्त उमेश यादव गेंदबाजी क्रम की कमान संभाल रहे थे। सौरभ की इस पारी की तारीफ पूर्व सलामी बल्लेबाज वसीम जाफर ने भी की थी। उस वक्त जाफर विरोधी खेमे के सदस्य थे। जाफर ने ये तक कहा कि उनकी टीम ने सोचा नहीं था कि उत्तराखंड 355 रनों तक पहुंच सकता है। उस सीजन उत्तराखंड ने 6 मुकाबले अपने नाम किए थे।।
साल 2019-2020 में सौरभ का प्रदर्शन
साल 2018 में तीन और फिर साल 2019-20 रणजी ट्रॉफी में सीजन में सौरभ रावत ने झारखंड के खिलाफ 110 रनों की पारी खेली। वह शतक जमाने वालों में पहले बल्लेबाज थे। उत्तराखंड के लिए सौरभ रावत रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा 4 शतक जमा चुके हैं। उनके शानदार प्रदर्शन के लिए क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने उन्हें बेस्ट प्लेयर भी चुना था। सौरभ रावत के करियर पर नजर डाले तो वह रणजी ट्रॉफी के 29 मुकाबलों में 4 शतक और 5 फिफ्टी की मदद से 1360 बन बना चुके हैं। वहीं 22 वनडे में 3 फिफ्टी मदद से उन्होंने 427 रन बनाए हैं। उत्तराखंड के लिए वह 18 टी-20 मैच में 264 रन बना चुके हैं। उनके बल्ले से एक फिफ्टी निकली है।