उत्तराखंड की अभिलाषा पालीवाल का ऐपण से जुड़ा स्टार्टअप जिसकी नींव ईजा और आमा ने रखी

हल्द्वानी: पहले जब छुट्टियों में गांव जाते थे तो पूरा परिवार साथ होता था। हां ऐसा अक्सर शादी समारोह या फिर किसी त्योहार के मौके पर होता था। घर पर कुछ चीजे की जाती थी जो शायद कुछ वर्ष पहले विलुप्त हो गई थी। जैसे गोबर से फर्श को लिपना… आप बोल सकते हैं… सीमेंट करना…. और दूसरा ऐपण… कटोरी में एक सफेद रंग और एक लाल…. साथ में एक धागा.. जिसकी मदद से वह बनाया जाता है था। ये केवल एक कला नहीं है बल्कि शुभ कार्यों में ईश्वर को नमन करने का प्रतीक है। बचपन के बाद ऐपण कभी नहीं सुना। दिवाली में घरों पर बाजार वाले स्टिकर लगाए जाने लगे थे। कहते है ना वक्त वापस जरूर आता है। ऐपण कला इस तरह वापस आई कि लोकसंस्कृति को बढ़ावा हर शख्स इसे पहचान दिलाने के हरसंभव प्रयास कर रहा है, जिसमें उसका नाम भी हो रहा है और साथ में कमाई भी।

अभिलाषा पालीवाल का स्टार्टअप

आज हम एक ऐसी ही महिला के स्टार्टअप की कहानी आपके बीच ला रहे हैं जिन्होंने अपनी आमा और ईजा से ऐपण कला सीखी और आज वही उनकी पहचान है। हल्द्वानी निवासी अभिलाषा पालीवाल ऐपण कला को विभिन्न वस्तुओं में उतार कर नाम कमा रही हैं। उनके अधिकतर प्रोडक्ट ऐपण से ही जुड़े हैं। अभिलाषा को ऐपण के प्यार ने एक उद्यमी बना दिया है। पर्वतजन आर्ट की संस्थापक अभिलाषा पालीवाल लोकजीवन का अभिन्न हिस्सा ऐपण को घर-घर तक पहुंचा रही हैं।

कैसे हुई शुरुआत

बचपन में अभिलाषा ने अपनी ईजा और आमा से ऐपण बनाना सीखा था। चित्रकला तो वैसे भी लड़कियों का पंसद होती है। ऐसा ही कुछ अभिलाषा के साथ हुआ। विरासत में बुजुर्गों से उन्होंने जो सिखा था वह करियर बन जाएगा, खुद उन्होंने नहीं सोचा था। इस रूचि को उन्होंने मौके देने का फैसला किया। स्कूली शिक्षा समाप्त होने के बाद उन्होंने देहरादून से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद दिल्ली के एक्सपोर्ट हाउस में चार साल नौकरी की। इसके बाद साल 2017 में उनकी शादी हुई तो उन्होंने फैशन के ज्ञान को ऐपण की शक्ल में उतार दिया। उन्होंने ऐपण की पेंटिंग्स बनाना शुरू किया। लोगों से अच्छी प्रतिक्रियां मिली तो उन्होंने कंपनी खोली। उनकी कंपनी का नाम है पर्वतजन आर्ट… वह जो करती थी उसे सोशल मीडिया पर डालती थी और धीरे-धीरे उनके काम को पहचान मिलने लग गई। ऐपण की नेम प्लेट, ऐपण के तोरण, ऐपण से सजी सिल्क साड़ी काटन बैग, बुक मार्क, पोस्टर और डायरी लोगों तक पहुंचाना शुरू कर दिया। कुछ दिन पहले उन्होंने ऐपण डिजाइन किए दिवाली के दीये भी लॉंच करें हैं।

अमेरिका पहुंची साड़ी

हल्द्वानी की अभिलाषा पालीवाल का काम केवल भारत में नहीं बल्कि विदेशों में भी विख्यात है। कुछ वक्त पहले उनके द्वारा बनाई गई सिल्क की साड़ी जिसमें ऐपण डिजाइन किया था उसकी डिमांड न्यूयार्क से आई। अभिलाषा पालीवाल ने बताया इंस्टाग्राम पर साड़ी की तस्वीर शेयर होने के बाद न्यूयार्क में रहने वाली भारतीय मूल की माधवी ने ऑर्डर प्लेस किया था। अभिलाषा कहती है कि ऐपण एक कला होने के साथ हम उत्तराखंडियों की पहचान है…जो एक दूसरे को जोड़कर रखती है। आजकल के युवाओं को लोक संस्कृति से जोड़ने का इसे बेहतर तरीका नहीं हो सकता है।

क्या कहती हैं अभिलाषा पालीवाल

जब वह छठी कक्षा में थी तब से ऐपण बना रही हैं। एक शोक रोजगार बन जाएगा ये सोचा नहीं था लेकिन अच्छा है। मैं अपने काम के प्रति ईमानदार हूं और शायद तभी नतीजे पक्ष में जा रहे हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि ये यात्रा आसान रही हो लेकिन मैं इन्हें महसूस करती हूं। अभिलाषा पालीवाल कहती हैं कि इस क्षेत्र से युवा तेजी से जुड़ रहे हैं जो एक सुखद अनुभव है। इससे ग्राहकों को क्या चाहिए ये पता चल सकता है। उन्होंने कहा कि ऐपण से जुड़े प्रोडक्ट ऑनलाइन भी बिक जाते हैं। उनका मानना है कि ऐपण को आगे लेकर जाना है तो नए-नए ट्रेंड लाना और उसे लोगों से कनेक्ट करने की जरूरत है।

उत्तराखंड में अभिलाषा पहली हैं जिन्होंने ऐपण तोरण मार्केट में उतारा था। वह कहती है कि तिब्बतियन तोरण का चलन वर्षों से था। वहीं से उन्हें ऐपण तोरण बनाने का आइडिया आया। अब बाहर के लोग जब तोरण ऑर्डर करते हैं तो उन्हें काफी अच्छा लगता है। कई सारे लोग इस तरफ अच्छा काम कर रहे हैं। इस तरह के लोगों को और महिलाओं को विश्वास देते रहना बेहद ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि ऐपण से जुड़ा काम कर रहे लोग इसलिए कामयाब हो रहे हैं या उनकी बात हो रही है क्योकि उन्हें समर्थन मिला है। लोगों ने ऐपण के महत्व को समझा है और मैं सभी का धन्यवाद करती हूं।

The Better Uttarakhand Desk

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