Photo खींचने के शौक ने हल्द्वानी के गोकुल को दी पहचान, महानगरों में छा गया फोटो पंडित

हल्द्वानी: काबिल बनो कामयाबी हर कीमत पर तुम्हारे पीछे आएगी। इस डायलॉग को अपने जीवन का मूलमंत्र मानना और इसे जिंदगी की हर कसौटी पर निभाना अपने आप में दो अलग बाते हैं। शौक, किसी ना किसी काम का शौक हर किसी के अंदर होता है। लेकिन अमुमन तौर पर ये शौक सिर्फ शौक ही बनकर रह जाता है। ये क्रिएटिव लोग ही होते हैं जो शौक को करियर बना लेते हैं। हल्द्वानी के गोकुल पपोला इसी लिस्ट में आते हैं।

गोकुल पपोला ने फोटो पंडित बनकर ना सिर्फ हल्द्वानी बल्कि दूर दराज शहरों में भी फोटोग्राफी के नए आयाम स्थापित किए हैं। ये गोकुल का शौक और मेहनत का ही नतीजा था कि उन्होंने समाज के तानों से परहेज कर अपना ध्यान भटकने नहीं दिया। आज की तारीख में फोटो पंडित एक ब्रांड है, एक ऐसी ब्रांड जो बिना किसी लिमिट के उस खुले आसमान में उड़ रही है, जहां उड़ने का हर कला से जुड़ा इंसान सपने देखता है। गोकुल की कहानी ना सिर्फ भावनाओं, संघर्ष से बल्कि परिपक्वता की पराकाष्ठाओं से भरी हुई है।

पढ़ाई से लेकर फोटोग्राफी तक

लालकुआं के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे गोकुल पपोला का जीवन आम बच्चों की तरह ही था। लेकिन कुछ ऐसे संकट थे जिन्हें परिवार ने बड़ी मजबूती से संभाला। दरअसल गोकुल के पिता स्वर्गीय गोविंद सिंह पपोला कारगिल युद्ध में देश के लिए शहीद हो गए थे। गोकुल के घर में उनके अलावा उनकी माता प्रेमा देवी हैं। जबकि बड़ी बहन की शादी 2012 में हुई थी।

कपकोट के छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले गोकुल के परिवार के लिए बेटे को पढ़ाई के क्षेत्र में ही आगे बढ़ाना जरूरी था। गोकुल ने किया भी ऐसा ही। उन्होंने छठीं क्लास तक पिथौरागढ़ के हॉस्टल से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने हल्द्वानी स्थित क्वींस स्कूल से हाई स्कूल तथा इंटर की पढ़ाई की। 2011 में हल्द्वानी से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कॉमर्स का छात्र होने के बाद कुछ और चुनने का फैसला किया।

दरअसल ट्विस्ट यह था कि गोकुल को दसवीं कक्षा से ही फोटोग्राफी और एडिटिंग का शौक होने लगा था। उन्होंने एमबीपीजी कॉलेज से बीकॉम तो किया लेकिन साथ ही साथ उन्होंने दिल्ली जाकर एरीना एनिमेशन से एनिमेशन व फोटोग्राफी में डिप्लोमा भी किया। क्रिएटिव इंसान का दिल वैसे भी किताबों में ज्यादा देर बैठा नहीं रह सकता।

दो साल तक बिना पैसों के किया काम

असली जद्दोजहद तब शुरू हुई जब गोकुल ने काम ढूंढना शुरू किया। दिल्ली जैसे बड़े शहर में किसी फ्रेशर को इतनी जल्दी काम मिलना टेढ़ी खीर होने वाला था। लेकिन गोकुल आने वाले संघर्ष से कतई पीछे नहीं हटे। गोकुल बताते हैं कि उन्होंने करीब करीब 2 साल तक लोगों के लिए फ्री में काम किया। हर किस्म के शूट्स फ्री में किए।

ये वह समय था जब गोकुल दिल्ली की गली गली में घूम कर काम ढूंढते थे। लेकिन घर पर भी यह सब बता नहीं सकते थे। गोकुल बताते हैं कि घर वालों ने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया लेकिन इस फील्ड को लेकर एक संशय हर किसी के मन में हमेशा से था। यही कारण था कि वह दिल्ली में जब संघर्ष कर रहे थे तो घर पर इस बारे में ज्यादा बात नहीं कर सकते थे।

लेकिन कहते हैं ना संघर्ष करने वाले एक ना एक दिन अपनी मंजिल पा ही जाते हैं। गोकुल के साथ भी यही हुआ। दो साल के संघर्ष के बाद धीरे धीरे उन्हें काम मिलना शुरू हुआ। इसके बाद गोकुल ने अपना खुद का कुछ शुरू करने की इच्छा से साल 2013 में दिल्ली के जनकपुरी में फोटो पंडित नाम से अपना स्टूडियो खोला। यह गोकुल की होशियारी और कलात्मक गुणवत्ता का ही नतीजा रहा कि देखते ही देखते फोटो पंडित एक ब्रांड बन गया। उनकी टीम बढ़ती चली गई। उन्हें बड़े बड़े शहरों से काम मिला। कई एड्स मिले।

अपने पहाड़ के लिए कुछ करना था

जब एक बार दिल्ली में सब सेटल हो गया तो गोकुल ने अपनी जन्मभूमि को याद किया। उन्होंने हल्द्वानी आने का फैसला किया। गोकुल पपोला ने 2016 में हल्द्वानी में अपने फोटो पंडित स्टूडियो का शुभारंभ किया। गौरतलब है कि उस समय हल्द्वानी में सिर्फ इक्का-दुक्का ही फोटोग्राफर अधिक काम कर रहे थे। इसी दौरान गोकुल ने हल्द्वानी से लेकर देहरादून और तमाम पर्वतीय जिलों में फोटो पंडित को ब्रांड बना दिया।

गोकुल की मानें तो आज की डेट में वह हल्द्वानी में रहकर ही ज्यादा काम करना चाहते हैं। अगर एक ही दिन दिल्ली और हल्द्वानी दोनों जगह शादी में फोटोग्राफी करनी होती है। तो वह हल्द्वानी को चुनते हैं। गोकुल का कहना है कि दिल्ली में पैसा जरूर ज्यादा है लेकिन वहां वो इज्जत नहीं जो अपने घर हल्द्वानी में है। पहाड़ी रीति-रिवाजों से होने वाली शादियों को देखते हुए फोटोग्राफी करने का भी अपना ही अलग मजा है।

गोकुल बताते हैं कि जब उन्होंने यह चुनाव किया था कि वह एनिमेशन और फोटोग्राफी की फील्ड में ही आगे बढ़ेंगे। तब कई रिश्तेदार ऐसे थे जिन्होंने इसे गलत कदम ठहराया। गोकुल का खुद का मानना भी यही है कि ऐसे क्रिएटिव फील्ड में हमेशा रिस्क रहता है। लेकिन वो कहते हैं ना रिस्क लेने से ही तो नाम बनता है। गोकुल हल्द्वानी में रहकर और यहां के बच्चों को इसी क्षेत्र में आगे बढ़ाकर ये सिद्ध कर रहे हैं।

सोशल मीडिया, सपने और वर्तमान

वर्तमान समय में गोकुल अपने परिवार के साथ हल्द्वानी में रह रहे हैं। उनकी शादी कुछ महीने पहले ही हुई है। फिलहाल जितनी बड़ी टीम उनकी दिल्ली में है उतनी ही बड़ी टीम उन्होंने हल्द्वानी में भी स्थापित की है। गोकुल चाहते हैं कि हल्द्वानी के बच्चे इस क्षेत्र में लगातार आगे बढ़े। उनका मानना है कि हल्द्वानी में फोटोग्राफी, एनिमेशन, एडिटिंग के फील्ड में बहुत प्रतिभा है।

यही कारण है कि गोकुल अपनी टीम में हल्द्वानी के बच्चों को ज्यादा मौके दे रहे हैं। गोकुल कहते हैं कि पलायन के मुद्दे पर चोट करने के लिए भी अपने शहर अथवा गांवों के बच्चों को यहीं पर काम देना ज्यादा जरूरी है। इसलिए वह इसी दिशा में प्रयासरत हैं। इंस्टाग्राम से लेकर फेसबुक तक फोटो पंडित की तारीफें होती है।

आज के समय में हल्द्वानी और समूचे उत्तराखंड के लिए फोटो पंडित सिर्फ एक फोटोग्राफी कंपनी नहीं बल्कि एहसास के तौर पर बनकर उभरा है। गोकुल बताते हैं कि वह अपनी टीम को आगे लेकर बढ़ना चाहते हैं। उनका सपना है कि बच्चे अपने शौक को पूरा करने के लिए काम करें लेकिन संघर्ष से घबराएं नहीं। फोकस के अलावा आगे बढ़ने का कोई जरिया नहीं है। गौरतलब है कि फोटो पंडित बनकर गोकुल ने ना सिर्फ अपने शौक से रोजगार पैदा किया बल्कि वह क्षेत्र के बच्चों को भी मौका देने का भी माध्यम बने।

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