हल्द्वानी की खुशबू जोशी कारगिल में बेटियों के लिए लड़ रही हैं युद्ध, गजब है SHOQPA की कहानी

हल्द्वानी की खुशबू जोशी कारगिल में बेटियों के लड़ रही हैं युद्ध, गजब है SHOQPA की कहानी

हल्द्वानी: महिलाएं जब उड़ान भरना शुरू करती हैं तो आसमान भी छोटा पड़ जाता है। कोई भी मानक, कोई भी पैमाना आज तलक महिलाओं की कार्यशैली, उनकी सफलता, उनकी उपलब्धियों को आंकने में कामयाब नहीं हो सका। और भला कामयाब हो भी कैसे सकता है। महिलाएं ऑल राउंडर होती हैं। हमारे उत्तराखंड में ही देख लीजिए। यहां की बेटियां ना सिर्फ घर परिवार की जड़ों को समझती हैं बल्कि उन्हें समाज को सुधारना भी आता है।

हल्द्वानी छड़ायल नायक निवासी खुशबू जोशी एक लड़की होने के सभी फर्जों को निभा रही हैं। वह बेटी होकर तमाम बेटियों को बीमारियों के अंधकार से बचाने का काम कर रही हैं। दरअसल आज के समाज में महिला सशक्तिकरण का नारा हर जुबान पर है। लेकिन महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर हर कोई चुप्पी साधे बैठा रहता है। माहवारी के बारे में बात करने को आज तक हम ही लोग ना जाने इतना अजीब क्यों समझते हैं।

लेकिन कहते हैं ना कि एक लड़की का दर्द एक लड़की ही समझ सकती है। खुशबू जोशी इसी जिम्मेदारी को समझकर काम कर रही हैं। वह साल 2019 से एक प्रोजेक्ट शोक्पा (SHOQPA) पर काम कर रही हैं। जिसके माध्यम से किशोरियों को माहवारी समेत महिलाओं के निजी स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि अपनी पूरी टीम के साथ खुशबू सैनिटरी पैड्स समेत कई मेंस्टूरल प्रोडक्ट्स को भी बांट रही हैं।

आखिर क्या है SHOQPA ?

खुशबू जोशी बताती हैं कि शोक्पा का मतलब पंख लगाकर उड़ान भरना होता है। शोक्पा के द्वारा खुशबू जोशी वो काम कर रही हैं जो कायदे से पूरे समाज की जिम्मेदारी बनती है। हमारा समाज एक ऐसा समाज है जो बेटियों और महिलाओं के प्रति सदा से लापरवाह रहा है। यहां बेटियों को पराया धन समझकर शादी की जाती है। फिर ये उम्मीद की जाती है कि महिलाएं उनके वंश हो आगे बढ़ाएंगी।

गौरतलब है कि इन सबके बीच में हम महिलाओं के स्वास्थ्य को बिलकुल भूल जाते हैं। हमें तो इस बारे में बात करना भी नहीं सिखाया जाता। लेकिन खुशबू जोशी इस दर्द को समझती हैं। बेटी और महिला होने के नाते इसे खुशबू अपनी जिम्मेदारी मान कर आगे बढ़ रही हैं। खुशबू जोशी के मुताबिक किशोरियों को आज भी रिप्रोडक्टिव सिस्टम, अपने निजी स्वास्थ्य के बारे में जानकारी नहीं है। शोक्पा इन्हीं बच्चियों को जागरूक करने के साथ साथ उन्हें बीमारियों से बचा रहा है।

शोक्पा : Idea से लेकर शुरुआत तक

दरअसल ये कोरोना की पहली लहर की बात है जब शोक्पा की शुरुआत की गई थी। हालांकि इसे रजिस्टर नवंबर 2021 में किया गया था। मगर इस तरफ काम टीम पिछले तीन सालों से कर रही है। खुशबू जोशी बताती हैं कि हमने कारगिल से ही इसकी शुरुआत की थी। उन्होंने बताया कि साल 2019 में वह वॉलंटियर के तौर पर काम कर रही थीं। इसके बाद धीरे धीरे उन्होंने एक टीम बनानी शुरू की।

खुशबू जोशी के अनुसार उन्होंने शुरुआत में कई ब्रांड से बात की लेकिन किसी ने रुचि नहीं दिखाई। इसलिए वह खुद ही रिसर्च करने में जुट गईं। इस रिसर्च का नतीजा ये रहा कि टीम ने रियूजेबल सैनिटरी पैड्स बांटने की व्यवस्था की। जिसके लिए ट्रेनिंग का प्लान बनाया गया। खुशबू ने 20 वॉलंटियर के साथ अगस्त से पैड्स का वितरण शुरू किया। इसके लिए लद्दाख के शिक्षा विभाग से जुड़कर कई सारे स्कूलों में पैड्स का वितरण किया गया।

खुशबू जोशी ने बताया कि कोरोना काल के दौरान ही ये आइडिया आया था। तब हर कोई मास्क, सैनिटाइजर बांट रहा था। मगर किसी ने कभी महिलाओं के स्वास्थ्य के बारे में नहीं सोचा। उन्होंने कहा कि वह हमेशा से इस दिशा में काम करना चाहती थी। पर जब उन्होंने लद्दाख में कई सारी बेटियों, बच्चियों से बात की तो पता लगा कि उन्हें स्वास्थ्य ज्ञान की देने की बहुत जरूरत है। खुशबू बताती हैं कि हमने किशोरियों को पीरियड्स के साथ साथ तमाम बातों पर उन्हें जागरूक किया। जिनको दिक्कतें थीं उनको डॉक्टरों से इलाज दिलवाया।

हल्द्वानी की खुशबू, कारगिल में युद्ध

खुशबू जोशी का जन्म उदयपुर में हुआ था लेकिन वह हल्द्वानी में रहती हैं। खुशबू की सातवीं कक्षा तक की पढ़ाई उदयपुर से पूरी हुई है। इसके बाद उन्होंने हल्द्वानी के आर्यमान विक्रम बिरला स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की। बाद में खुशबू ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में बीए ऑनर्स और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से एमए पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है।

खुशबू बताती हैं कि वह 2019 में वॉलंटियर के तौर पर किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में कारगिल गईं थीं। लेकिन वहां उन्होंने जब किशोरियों में ज्ञान की कमी देखी तो उन्हें चिंता ने चैन नहीं लेने दिया। यही कारण रहा कि उन्होंने वहीं काम करने का मन बना लिया। आज की तारीख में खुशबू कई सारी बेटियों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर चुकी हैं।

वह अपनी टीम के साथ किशोरियों को ऐसे सैनिटरी पैड्स बांट रही हैं जो दो साल तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं। अब खुशबू जोशी आगे भी इसी तरह से काम करना चाहती हैं। वह कहती हैं कि उन्हें हल्द्वानी व हमारे पहाड़ों के लिए भी काम करना है। शहरों से लेकर छोटे छोटे गांवों में महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलानी है। इस सफर के लिए खुशबू ने समाजिक व्यावसायी मुजम्मिल हुसैन और शोक्पा के को-फाउंडर डॉ. नौशीन खान का भी अहम सहयोग के लिए धन्यवाद किया है। हो ना हो, बेटियों से अच्छा समाज सुधारक कोई साबित नहीं हो सकता। खुशबू जोशी अपनी टीम के साथ ये सार्थक कर रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *