विराट से मिलती जुलती है नैनीताल की नीलम की कहानी, मुश्किल वक्त में भी नहीं छोड़ा क्रिकेट

रामनगर: परिणाम जरूरी हमारे हाथ में नहीं होता। लेकिन कोशिश करना हमारे नियंत्रण में होता है। भाग्य को कोसने वाले केवल भाग्य को कोसने रह जाते हैं। लेकिन कर्म करने वाले देखते ही देखते इतिहास रच जाते हैं। इतिहास तो रामनगर की बेटी नीलम ने भी रचा है। उत्तराखंड को पहली भारतीय घरेलू क्रिकेट की पहली ट्रॉफी जीतने में बेटी ने गजब का योगदान दिया है। नीलम पूरे टूर्नामेंट में आऊट नहीं हो सकी। लेकिन एक वक्त था जब यहां तक पहुंचना भी आसान नहीं था।

दरअसल रामनगर निवासी नीलम भारद्वाज जीजीआईसी में सिर्फ 11वीं क्लास की छात्रा हैं। लेकिन पूरा भारतीय महिला क्रिकेट उनकी तरफ उम्मीद की निगाहों से देखने लगा है। हाल ही में संपन्न हुई अंडर 19 वूमेन ट्रॉफी को उत्तराखंड ने अपने नाम किया है। नीलम भारद्वाज की एक और शानदार पारी की बदौलत उत्तराखंड ने अंडर-19 वूमेन ट्रॉफी जीत ली। नीलम की शानदार 56 रन की नाबादी पारी से उत्तराखंड ने मध्य प्रदेश को आसानी से हरा दिया।

कॉर्बेट क्रिकेट एकेडमी से जुड़ी नीलम ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम को जीत दिलाई। आज नीलम का नाम हर जगह चर्चित है। इस वक्त नीलम चैलेंजर ट्रॉफी में अपनी टीम की कमान भी संभाल रही हैं। गौरतलब है कि चर्चाओं का यह सैलाब नीलम की प्रतिभा के प्रदर्शन की देन है। लेकिन ठीक एक साल पहले परिवार पर संकटों के बादल मंडरा रहे थे। नीलम ने पिछले साल मार्च में अपने पिता को खो दिया था।

बेहद साधारण परिवार ने अचानक एक हादसे में अपने मुखिया को खो दिया। वाकई परिवार पर दुखों का पहाड़ आ गिरा था। लेकिन नीलम की मां पुष्पा देवी ने बेटी को खेल के मैदान से दूर नहीं होने दिया। नीलम की मां पुष्पा देवी ने दूसरे के घरों में काम करके बच्चों का पालन-पोषण किया। नीलम के पास कभी क्रिकेट खेलने के लिए जरूरी सामान तक नहीं था। लेकिन नीलम ने बिलकुल हार नहीं मानी और अपनी जिद को जुनून में बदल दिया।

गौरतलब है कि नीलम भारद्वाज के कहानी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली से मिलती जुलती है। विराट कोहली ने एक क्रिकेट मैच के दौरान अपने पिता को खोया था। बता दें कि विराट ने तब भारतीय सीनियर टीम के लिए डेब्यू भी नहीं किया था। संकटों को पार कर विराट के परिवार ने एक लंबा रास्ता तय किया। आज सब जानते हैं कि विराट को विश्व क्रिकेट में किंग नाम से पुकारा जाता है। इसी तरह नीलम ने भी अपने पिता की यादों के साथ आगे बढ़ने का प्रण ले लिया है।

गौरतलब है कि नीलम की प्रतिभा को उनके कोच मो. इसरार अंसारी ने बखूबी पहचाना। उन्होंने न केवल नीलम को क्रिकेट की बारीकियां सिखाई बल्कि हर परिस्थितियों में पिता की तरह साथ खड़े रहे। कोच ने नीलम को वो हर क्रिकेट का सामान दिया, जिसकी उन्हें जरूरत थी। बता दें कि नीलम रामनगर रेलवे स्टेशन के पास के पड़ाव में क्षतिग्रस्त मकान में रहती हैं। परिवार में माता पुष्पा देवी, छोटे भाई ओम (12) और सत्यम (10) हैं। बड़ी बहन स्नेहा की शादी पिछले वर्ष हो गई थी। नीलम ने इतिहास के पन्ने लिखने शुरू कर दिए हैं। बहुत जल्दी पूरा भारत और पूरा विश्व उत्तराखंड की इस बेटी की मिसालें देगा।

The Better Uttarakhand Desk

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