हल्द्वानी: आधुनिक जमाने के बच्चों की दिनचर्या पुराने जमाने के मुकाबले एकदम उलट है। जहां, पहले के समय में बच्चे मिट्टी में लोट पोट होकर मैदानों में छलांगे मारते दिखते थे। वहीं आज के समय में बच्चे घरों में कैद होकर सिर्फ मोबाइल और टीवी को निहारते रहते हैं। इस खराब दिनचर्या को बदलने के लिए काम कर रहे हैं हल्द्वानी निवासी विनय अस्थाना।
दरअसल पिछले दस साल से हल्द्वानी में रहकर नौकरी कर रहे विनय अस्थाना आज के दौर के बच्चों को मिट्टी के करीब और मोबाइल से दूर करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने बेहद अभिनव तरीका भी खोजा है। विनय अस्थाना अपनी कंपनी क्वेस्ट एड (QuestEd) के माध्यम से बच्चों को पॉटरी से जोड़ रहे हैं। जी हां, इनकी मदद से आप घर बैठे बैठे मिट्टी के बर्तन तो बना ही सकते हैं। साथ ही अपने बच्चों में बेहतर परवरिश के बीज भी बो सकते हैं।
गौरतलब है कि पिछले साल मार्च में विनय अस्थाना की नौकरी गई तो उन्होंने अपनी कंपनी (QuestEd) खोलने का फैसला किया। विनय बताते हैं कि आधुनिक जमाने के बच्चों की डेली लाइफ देखकर हमेशा से इस ओर काम करने का मन था। बहरहाल, कंपनी के माध्यम से विनय ने कई स्कूलों में बच्चों को विभिन्न विषयों की शिक्षा दी।
मगर कोरोना के बढ़ते प्रभाव के कारण स्कूल बंद हो गए। तभी विनय के दिमाग में बच्चों के उद्धार का एक नया आइडिया आया। विनय बताते हैं कि हमेशा से बच्चों को मिट्टी से जोड़ने की सोच रही है। उनका कहना है कि बचपन में हमारी पीढ़ी त्योहारों पर खुद से तरह तरह की चीजें बनाती थी। गौरतलब है कि पुराने जमाने में दीपावली पर खुद झालर बनाकर घरों को सजाया जाता था।
इसके अलावा भी बच्चे पहले के दौर में मिट्टी से जुड़े खेल सड़कों पर जाकर खेलते थे। लेकिन आज के जमाने में बच्चे घर से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं। जिसमें मां बाप का अपने आप में व्यस्त रहना भी एक बड़ा कारण है। बच्चों को अपने संस्कृति की तरफ खींचने के लिए विनय ने पॉटरी (Pottery) का जरिया खोजा है।
विनय के पास मिट्टी के बर्तन बनाने वाली इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील उपलब्ध है। जिसे वह डिमांड पर लोगों के घरों में भेज रहे हैं। मशीन को घर भेजने-लाने का कोई शुल्क नहीं है। साथ ही वह इसके साथ बर्तन बनाने वाली मिट्टी (Clay) फ्री में उपलब्ध करा रहे हैं। अगर आप चाहें तो मशीन के साथ साथ उनसे बर्तन बनाने का कोर्स भी प्राप्त कर सकते हैं।
पांच लोगों की टीम में काम कर रहे विनय अस्थाना बताते हैं कि कोर्स कराने के लिए मुंबई, दिल्ली से ट्रेनर से संपर्क कराया जाएगा। विनय का कहना है कि इस व्हील से एक तो मिट्टी से जुड़ाव रहेगा। परिवार के लोग पुराने दौर की तरह मोबाइल, टीवी छोड़कर एक दूसरे के करीब आएंगे।
गौरतलब है कि बच्चों को आधुनिक दौर की इलेट्रॉनिक डिवाइसों से दूर करने के लिए इस तरह की एक्टिविटी खासी जरूरी होती जा रही हैं। बच्चों को पुराने जमाने की तरह संस्कृति से जोड़ने के लिए वाकई विनय का यह प्रयास सराहनीय है। खास बात ये भी है घर में इस एक्टिविटी को करने से हमें कुम्हार की मेहनत का भी अंदाजा लगेगा।