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रेडियो जॉकी बन कर नाम कमा रहे ज्योलीकोट निवासी पंकज जीना,संघर्षों से भरा रहा सफर

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हल्द्वानी: मनीष पांडे: पहाड़ की ही तरह पहाड़ के युवाओं का आत्मबल मजबूत, स्थिर और ओजस्वी होता है। यही कारण है कि विषम परिस्थितियों में जीवन जीने को बाध्य होने के बावजूद, पहाड़ के युवा हर दिन अपनी मेहनत से पहचान बना रहे हैं। इन्हें एक छोटा सा मौक़ा मिलता है और यह उस मौक़े को कामयाबी में बदलने के लिए जी जान लगा देते हैं। मीडिया के क्षेत्र में कई ऐसे युवा हैं जिन्होंने संघर्ष से कामयाबी तक का रास्ता तय किया है। इस लिस्ट में युवा पंकज जीना का नाम भी शामिल है जो आज रेडियो जॉकी के रूप में ख्याति प्राप्त कर रहे हैं।

उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के ज्योलीकोट इलाक़े के एक छोटे से गांव चोपड़ा के निवासी पंकज जीना का बचपन बड़ा सामान्य रहा। खेत में काम करने, भैंस चराने, पहाड़ के पारंपरिक खेल खेलने में ही सारा वक्त बीत जाया करता था। पहाड़ के गांव में जिस तरह की शिक्षा व्यवस्था है, उसमें एक बालक जिसका गंभीर होकर पढ़ाई कर सकता है, उतनी ही गंभीरता से पंकज की पढ़ाई लिखाई चल रही थी। पंकज कुछ अलग करना चाहते थे और रेडियों ने उन्हें अलग रास्ता चुनने का मौका भी दे दिया।

पंकज को रेडियो की दुनिया ने ऐसा आकर्षित किया कि उन्होंने अपना जीवन रेडियो को समर्पित करने का फ़ैसला कर लिया। इसी क्रम में पंकज ने सबसे पहले रेडियो कुमाऊं वाणी ज्वाइन किया। रेडियो कुमाऊं वाणी से पंकज का परिचय रेडियो की दुनिया से हुआ। पंकज अपने गांव से 4 घंटे पैदल सफ़र रेडियो कुमाऊं वाणी के केंद्र पहुंचते थे। यह जुनून था पंकज के भीतर रेडियो को लेकर। पहाड़ी क्षेत्र में जन्म लेने के कारण पंकज में भाषा के उच्चारण और व्याकरण की अशुद्धियां थीं। इसे ठीक करने के लिए पंकज ने रंगमंच से जुड़ने का निर्णय किया। इसके साथ ही, वह महीनों अपने परिवार से, गांव से दूर रहते, जिससे उनकी हिंदी भाषा में उच्चारण और व्याकरण दोष दूर हो जाएं।

मेहनत रंग ज़रूर लाती है। एक रोज़ देश के बड़े रेडियो स्टेशन रेड एफएम चैनल की सीईओ ने पंकज जीना की आवाज़ सुनी और उन्हें मौका देने का फैसला किया। उस समय पंकज पहाड़ में रहकर रेडियो कुमाऊं वाणी में काम कर रहे थे। इस दौरान वह डीएसबी परिसर से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई भी कर रहे थे। रेड एफएम चैनल की तरफ़ से मौक़ा मिलना पंकज के लिए बड़ा ब्रेक था। पंकज ने रेड एफएम में जाकर रेडियो की दुनिया को जाना, समझा। उन्होंने आर जे रौनक जैसे देश के बड़े और मशहूर रेडियो जॉकी से, रेडियो जॉकी की बारीकियों को सीखा। इस दौरान पंकज ने खूब मेहनत की और खुद को निखारा।

रेड एफएम देहरादून के बाद बनारस जाकर रेडियो सिटी रेडियो चैनल और लखनऊ जाकर फीवर एफएम रेडियो चैनल में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने आयुष्मान खुराना, सुनीता रजवार, मुकेश खन्ना जैसे कामयाब, दिग्गज कलाकारों के इंटरव्यू भी किए। फ़िलहाल पंकज शहर बनारस में रेडियो सिटी 91.9 एफएम में कार्यरत हैं और उनकी आवाज़ देश भर में गूंज रही है। सोशल मीडिया पर भी पंकज बहुत सक्रिय हैं और उनके किस्से, कहानियां युवा बड़े शौक़ से सुनना पसंद कर रहे हैं। पंकज इस बात की मिसाल हैं कि जुनून, मेहनत और समर्पण के आगे सभी मुश्किलें छोटी पड़ जाती हैं।

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